गली........
ये वही गली है जहाँ से ....
तीन दिन पहले भी गुजरा था
और तीन साल पहले भी
गुजरुंगा शायद तीन महीने बाद भी
कभी एक सी क्यों नही लगती ये गली
गली मे मोहन का घर भी एक सा नही लगता
गली की तरह ही मिजाज बदलता रहता है
जिस तरह उस लड़की का दुपट्टा बदलता है
हर दिन
हर दिन बदलता दुपट्टा देखा करता हूँ
पर आपको कभी आँख भरकर नही देखा
नाम भी नही पता , जैसे मोहन का है पता
क्यों ?
मोहन की माँ पुकारती है
उस का घर पुकारता है
लीप पोत कर घर , हर हफ्ते नया सा हो जाता है
गली भी बारिस के बाद खूबसूरत हो जाती है
यहाँ पर हर घड़ी हर चीज बदल जाती है
बदलते नही हैं तो मोहन की पेशानी के बल
और दुपट्टे वाली लड़की की फटी हुई एडियाँ.........
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