मेरे शुभचिंतक
मेरे शुभचिंतक
रोज सिखाते हैं
मुझे जीने का तरीका
रोज देते हैं सलाह
कि करना क्या है
तुम भटक गए हो
अरे खुश क्यों हो
ऐसा मत करो
ये ग़लत है
वैसा मत करो
वो ग़लत है
तुम पछताओगे
गर्त मे जाओगे
देखो जमीन पर रहो
हमारी ही तरह दुख सहो
आसमान की और मत देखो
आगे बढ़ने की मत सोचो
हम तुम्हारा भला चाहते हैं
तुम्हे खुश देखना चाहते हैं
जो उन्हें पसंद है
करने को कहते हैं
रोज मर मर के
जीने को कहते हैं
मेरे शुभचिंतक ..........
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