Thursday, July 30, 2009



भोपाल के युवा रंगकर्मी अजय श्रीवास्तव अज्जू के निर्देशन में हेमलेट.... भारत भवन के अन्तरंग में शनिवार 25 जुलाई को शाम 7 बजे शेक्सपियर के इस बहुचर्चित नाटक को खेला भोपाल के रंग समूह "न्यासा" ने |

प्रस्तुत है इस नाटक की अरविन्द तिवारी द्वारा समीक्षा .......
अरविन्द.....पत्रकारिता,रंगकर्म और फिल्मों से लगातार जुड़े रहते हैं |
पढने के लिए
नीचे क्लिक करें ...और अपने कमेंट्स देना न भूलें...
फिर मारा गया.... हेमलेट

alakh nandan community on orkut



He is one of the great Writer - Poet - Director of India
he is my Father
I request to join his community on Orkut
join as soon as possible
...
click here to join
alakh nandan

Wednesday, July 29, 2009

kuch saathi aur......

मानस भारद्वाज
इनके बारे में क्या कहूँ बस नाम ही काफी है....बड़े शायर/कवि है यार |
इनके कुछ .............कहाँ बड़े लोगों के बारे में बात नहीं करते

मेरे साथ ही रहती है तू घर क्यों नहीं जाती
बहुत प्यार आता है तुझपर तू मर क्यों नहीं जाती
तेरे बिना जीते नहीं बनता है तू बिछड़ क्यों नहीं जाती
मेरी बरबादियों को देख तू डर क्यों नही जाती


जब रात का साहिल थोडा सा सुख जाए और खामोशी थोडी सी गुनगुनाने लगे
यादें सारी मेरी आँखों मे भर जाए
और आँखों से तुम्हारी पानी आने लगे
तब तुम आकर हौले से
मेरा हाथ थाम लेना और कहना
ये आसमा तो पराया है
मुझे तुम्हारी जमीन पे आना है

इनका ब्लॉग खंगालने के लिए नीचे क्लिक करें...

Tuesday, July 28, 2009

my new movie

There r few posters n snaps of my new movie
MERI KAHANI
if u want to see full size image so plz click the thumbnails
_______________________________________________________





जहाँ भी जाता हूँ ये मनहूस साथ चलता है
ये ज़लील चेहरा मेरी पहचान बना बैठा है
इस कमबख्त को काँधे से उतार तो फेकूं
पर कैसे ?
कामीना मेरी जान की जान बना बैठा है...-अंश पयान सिन्हा


Sunday, July 26, 2009

जाने के बाद तुम्हारे



सब से छोटी रातें और सब से छोटे दिन
जाने के बाद तुम्हारे मेरे हैं - बस मेरे

सब
से गन्दे दोस्त और सबसे बुरी आदतें
जाने
के बाद तुम्हारे मेरी हैं - बस मेरी

सब
कुछ खो कर जीने की ताकत और हौसला
जाने
के बाद तुम्हारे मेरा है - बस मेरा

जाने
के बाद तुम्हारे मैं
कठोर
- कठिन चालाक - सयाना
और
गैर का हो गया

जाने
के बाद तुम्हारे जाना ये मैंने
सब
से अच्छा था मैं जब मैं था तुम्हारा
पोंगा
-भोंदू-लल्लू और तुम थे मेरे

जाने
के बाद तुम्हारे
सब
से गन्दी गालियाँ
और
सारी बद्दुआएं
मेरी
हैं - बस मेरी |

हमबिस्तर

हमबिस्तर थे
हम जिस बिस्तर पे
वो बिस्तर
समेट के टांड पे रख दिया है......

कौन उतारे
फिर से खुशबू फैल न जाये
डर लगता है .......

अब उस बिस्तर पे
नींद कहाँ से आएगी...
-अंश पयान सिन्हा

Saturday, July 25, 2009

तुम्हारे बिना....



रहते जो तुम मेरे घर में मुझे कुछ आराम होता
मेरे कमरे में तुम्हारा भी जो कुछ सामन होता
कुछ सफ़ेद दुपट्टे...कुछ गीतों कि डायरी ...
एक जोड़ी कोल्हापुरी चप्पलें ..खुसरो कि शायरी
ज़रा तमीज़ होती मुझमे ...मैं यु फ़ैल के सोता...
-अंश

बड़ा बेडौल कमरा है मेरा...
एक तरफ सामान रखा ...
एक
तरफ से खाली है...

वो
जगह तुम्हारी है...

बेडौल
ही रहेगा कमरा मेरा...

वो
जगह
कभी भरने नहीं दूंगा मैं...
वो
जगह तुम्हारी है...

-अंश

दर्जी मुझसे बेहतर है.........



जिस दिन तुम ने नाप दिया था दर्जी को
सोचा था बनूँगा दर्जी
एक इंच टेप ले नापुन्गा
तुम्हारे दुःख
कैंची से काट डालूँगा
हर उस तकलीफ को
जो आंसू देती है तुम्हे
सुन्दर सलमा सितारे
जड़ दूंगा
तुम्हारे सादे रंग कि कुर्ती में
सिलूँगा खुशियों के धागे से
हर बंधन को
इजारबंद कि तरह
बांध दूंगा
साँसे
कमर के घेरे पे
खुद को बना दूंगा

तुम्हारा पटियाला सूट
जिस दिन तुमने नाप दिया था दर्जी को
उस दिन पहली दफा

देखा था मैंने
तुम्हारे चेहरे के सिवा
कुछ और
जिस दिन तुमने नाप दिया था दर्जी को
उस दिन मैंने जाना था
दर्जी मुझसे बेहतर है.........
-अंश पयान सिन्हा

आदतें

हम रात काट देते हैं लिखते लिखते
दिन भर सोचते हैं लिखना क्या है
यूँ दिन में भी याद नहीं करते उसको
और रातों को भी वो याद नहीं आती
लो फिर झूठ बोल दिया हमने
कमबख्त ये आदत क्यों नहीं जाती...
-
अंश पयान सिन्हा


पतंग सा उड़ जाऊंगा....

खुद ही बांध लिए हैं मैंने
हाथ - पैर अपने...


जैसे उड़ न जाये कपडे
तो बाई लगा देती है क्लिप रस्सी पे

जब तक सूख नहीं जाते...
तब तक वहीँ बंधे रहते है...

अभी बंधा हूँ
ज्यों ज्यों सूखता जाऊंगा
खुलता जाऊंगा....

अभी बंधा हूँ
क्योंकि गीला हूँ रूमाल कि तरह....

सूखने पर देखना
पतंग सा उड़ जाऊंगा....-अंश पयान सिन्हा

बस यूँ ही !

मोहब्बत क्या चीज़ है
ये मुझे नहीं मालूम
मेरी जीने की अदा को
शायद
तुम ने कोई नाम दिया है .........-अंश






मुझे
उस तस्वीर से
बे
इन्तेहाँ मुहब्बत है...

क्योंकि उस तस्वीर में बस
तू ही नजर आया है मुझे
-अंश पयान सिन्हा


दर्द को बना के तांगा
तू कहीं दूर निकल जा

थक के जो मरा घोड़ा
तो दर्द भी मर जायेगा

-अंश पयान सिन्हा


मुझे उस तस्वीर से बे इन्तेहाँ मुहब्बत है...
क्योंकि उस तस्वीर में बस तू ही नजर आया है मुझे -अंश पयान सिन्हा


तू तस्वीर को दाएँ तरफ से तो देख
इसमें भी कई खूबियाँ हैं तू देख पायेगा...अंश पयान सिन्हा


मैं उन सब का शुक्रगुजार सा हूँ...
जिन अपनों ने बर्बाद कर के मुझे...

जीना सिखा दिया-
अंश पयान सिन्हा


माना के इल्म बहुत खूब है तुम्हे..
मेरी भी सुन लिया करो...मेरी उम्र बड़ी है..
अंश पयान सिन्हा