खुद ही बांध लिए हैं मैंने
हाथ - पैर अपने...
जैसे उड़ न जाये कपडे
तो बाई लगा देती है क्लिप रस्सी पे
जब तक सूख नहीं जाते...
तब तक वहीँ बंधे रहते है...
अभी बंधा हूँ
ज्यों ज्यों सूखता जाऊंगा
खुलता जाऊंगा....
अभी बंधा हूँ
क्योंकि गीला हूँ रूमाल कि तरह....
सूखने पर देखना
पतंग सा उड़ जाऊंगा....-अंश पयान सिन्हा
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