मानस भारद्वाज
इनके बारे में क्या कहूँ बस नाम ही काफी है....बड़े शायर/कवि है यार |
इनके कुछ .............कहाँ न बड़े लोगों के बारे में बात नहीं करते ॥
मेरे साथ ही रहती है तू घर क्यों नहीं जाती
बहुत प्यार आता है तुझपर तू मर क्यों नहीं जाती
तेरे बिना जीते नहीं बनता है तू बिछड़ क्यों नहीं जाती
मेरी बरबादियों को देख तू डर क्यों नही जाती
जब रात का साहिल थोडा सा सुख जाए और खामोशी थोडी सी गुनगुनाने लगे
यादें सारी मेरी आँखों मे भर जाए और आँखों से तुम्हारी पानी आने लगे
तब तुम आकर हौले से मेरा हाथ थाम लेना और कहना
ये आसमा तो पराया है मुझे तुम्हारी जमीन पे आना है
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Wednesday, July 29, 2009
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