Tuesday, April 27, 2010

रंग

"जब से तुम्हारे पसंदीदा रंग भाने लगे हैं ...हम से बाकि रंग खार खाने लगे हैं ...-ansh"

Friday, April 23, 2010

ख्वाब

ख्वाब सजाना मेरी फितरत नहीं ...उन्हें हकीकत बनाना आता है मुझे !

Wednesday, April 21, 2010

सपना























वो मेरा सपना था जिसे रखा था तुम्हारी गोद में....
अचानक किसी की आहट हुई और तुम दौड़ गए...
देखो सपना टूट के फर्श पे बिखर गया है...

समेट लो इसे नहीं तो चुभ जायेगा उसके पैरों में...


जब हम मिलेंगे काम के दौरान लौटा देना मुझे...

किसी कागज़ में लपेटकर सबसे छुपाकर ...

मैं जोड़ लूँगा उसे किसी तरह कुछ करके...

ये बात और है के शीशा जोड़ना मुश्किल है...


शीशे सा वो सपना मोम का होना था...

तुम तोड़ते रहते मैं जोड़ता रहता...

शायद रिश्तों की गर्माहट इसी काम आती...

पर अब ये गर्माहट झुलसा न दे मुझे....

Thursday, April 15, 2010

तुम


और हम यूँ ही बैठे रहे
बहुत देर तक
तुम स्क्रिप्ट में डूबी थीं
और मैं तुम्हारे हाथ से बनी चाय और नूडल्स में

तुम कहती हो
मैंने चाय और नूडल्स की तारीफ नहीं की
मैं तो देख रहा था बस तुमको
स्क्रिप्ट में डूबे हुए
अपने किरदार के करीब
तारीफ तुम्हारी है

मैं तो देख रहा था बस तुमको
अपलक एकटक अनथक
हाँ ये बात और है के

चाय और नूडल्स का जायका
अभी भी है होठों पे....