Saturday, July 25, 2009

तुम्हारे बिना....



रहते जो तुम मेरे घर में मुझे कुछ आराम होता
मेरे कमरे में तुम्हारा भी जो कुछ सामन होता
कुछ सफ़ेद दुपट्टे...कुछ गीतों कि डायरी ...
एक जोड़ी कोल्हापुरी चप्पलें ..खुसरो कि शायरी
ज़रा तमीज़ होती मुझमे ...मैं यु फ़ैल के सोता...
-अंश

बड़ा बेडौल कमरा है मेरा...
एक तरफ सामान रखा ...
एक
तरफ से खाली है...

वो
जगह तुम्हारी है...

बेडौल
ही रहेगा कमरा मेरा...

वो
जगह
कभी भरने नहीं दूंगा मैं...
वो
जगह तुम्हारी है...

-अंश

दर्जी मुझसे बेहतर है.........



जिस दिन तुम ने नाप दिया था दर्जी को
सोचा था बनूँगा दर्जी
एक इंच टेप ले नापुन्गा
तुम्हारे दुःख
कैंची से काट डालूँगा
हर उस तकलीफ को
जो आंसू देती है तुम्हे
सुन्दर सलमा सितारे
जड़ दूंगा
तुम्हारे सादे रंग कि कुर्ती में
सिलूँगा खुशियों के धागे से
हर बंधन को
इजारबंद कि तरह
बांध दूंगा
साँसे
कमर के घेरे पे
खुद को बना दूंगा

तुम्हारा पटियाला सूट
जिस दिन तुमने नाप दिया था दर्जी को
उस दिन पहली दफा

देखा था मैंने
तुम्हारे चेहरे के सिवा
कुछ और
जिस दिन तुमने नाप दिया था दर्जी को
उस दिन मैंने जाना था
दर्जी मुझसे बेहतर है.........
-अंश पयान सिन्हा

आदतें

हम रात काट देते हैं लिखते लिखते
दिन भर सोचते हैं लिखना क्या है
यूँ दिन में भी याद नहीं करते उसको
और रातों को भी वो याद नहीं आती
लो फिर झूठ बोल दिया हमने
कमबख्त ये आदत क्यों नहीं जाती...
-
अंश पयान सिन्हा


पतंग सा उड़ जाऊंगा....

खुद ही बांध लिए हैं मैंने
हाथ - पैर अपने...


जैसे उड़ न जाये कपडे
तो बाई लगा देती है क्लिप रस्सी पे

जब तक सूख नहीं जाते...
तब तक वहीँ बंधे रहते है...

अभी बंधा हूँ
ज्यों ज्यों सूखता जाऊंगा
खुलता जाऊंगा....

अभी बंधा हूँ
क्योंकि गीला हूँ रूमाल कि तरह....

सूखने पर देखना
पतंग सा उड़ जाऊंगा....-अंश पयान सिन्हा

बस यूँ ही !

मोहब्बत क्या चीज़ है
ये मुझे नहीं मालूम
मेरी जीने की अदा को
शायद
तुम ने कोई नाम दिया है .........-अंश






मुझे
उस तस्वीर से
बे
इन्तेहाँ मुहब्बत है...

क्योंकि उस तस्वीर में बस
तू ही नजर आया है मुझे
-अंश पयान सिन्हा


दर्द को बना के तांगा
तू कहीं दूर निकल जा

थक के जो मरा घोड़ा
तो दर्द भी मर जायेगा

-अंश पयान सिन्हा


मुझे उस तस्वीर से बे इन्तेहाँ मुहब्बत है...
क्योंकि उस तस्वीर में बस तू ही नजर आया है मुझे -अंश पयान सिन्हा


तू तस्वीर को दाएँ तरफ से तो देख
इसमें भी कई खूबियाँ हैं तू देख पायेगा...अंश पयान सिन्हा


मैं उन सब का शुक्रगुजार सा हूँ...
जिन अपनों ने बर्बाद कर के मुझे...

जीना सिखा दिया-
अंश पयान सिन्हा


माना के इल्म बहुत खूब है तुम्हे..
मेरी भी सुन लिया करो...मेरी उम्र बड़ी है..
अंश पयान सिन्हा