जिस दिन तुम ने नाप दिया था दर्जी को
सोचा था बनूँगा दर्जी
एक इंच टेप ले नापुन्गा
तुम्हारे दुःख
कैंची से काट डालूँगा
हर उस तकलीफ को
जो आंसू देती है तुम्हे
सुन्दर सलमा सितारे
जड़ दूंगा
तुम्हारे सादे रंग कि कुर्ती में
सिलूँगा खुशियों के धागे से
हर बंधन को
इजारबंद कि तरह
बांध दूंगा
साँसे
कमर के घेरे पे
खुद को बना दूंगा
तुम्हारा पटियाला सूट
जिस दिन तुमने नाप दिया था दर्जी को
उस दिन पहली दफा
देखा था मैंने
तुम्हारे चेहरे के सिवा
कुछ और
जिस दिन तुमने नाप दिया था दर्जी को
उस दिन मैंने जाना था
दर्जी मुझसे बेहतर है.........
-अंश पयान सिन्हा
Saturday, July 25, 2009
दर्जी मुझसे बेहतर है.........
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