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आज कुछ नही लिख सकता......
आज कुछ नही लिख सकता
क्योंकि दिमाग नही चल रहा है
कवि जो मन मे बैठा है
कुछ सोचा नही पा रहा है
क्योंकि अब ताकत नही है
हौसला चुक गया है
अब तो शायद
कलम भी न उठ सकेगी
क्योंकि कुछ नही होता लिखने से
कितने लिख गए
मर गए खप गए
कुछ हुआ क्या ?
क्रांति नही आएगी
मेरी कविता
एक भी विचार
नही बदल पाएगी
सिर्फ़ पन्ने बर्बाद होंगे
कलम घिस जायेगी
फ़िर भी एक कविता
बन ही जाती है
क्योंकि उसकी सोच मे कविता
कविता मे सोच
नजर आती है
परंतू वो फ़िर कहता है
आज कुछ नही लिख सकता !
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