उधेड़बुन
उधेड़ दिया
फ़िर सिया
फ़िर किसी ने उधेड़ दिया
किसी रददी के कागज से भी
बुरा सलून मेरे साथ है किया
मैं उधेड़ कर फ़िर से सिला गया
मैं अपनी पहचान
मेरा अपना लक्ष्य
मेरा अपना सपना
मेरा अपना अस्तित्व
इसी उधेड़बुन मे खो गया
बचपन खो गया
बालमन खो गया
उम्र से पहले ही
मैं बुढा हो गया
आज मेरा बुढ़ापा भी
एक उधेड़बुन हो गया .....
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