सियासतनामा
मुझ से पूछ
अब मैं ही बताऊंगा तुझे
शहर जागीर है मेरी
हर मोड़ नज़र आऊंगा तुझे |
तू हार गया
ये एहसास तो हो
तेरी चौखट पे
आ-आ के जताऊंगा तुझे |
तू चलेगा
मगर मेरे पीछे
कारवां मेरा है
तू गिरेगा तो उठाऊंगा तुझे |
मैं सियासत हूँ
तेरा नाम है मज़हब
तेरे ही मुल्क में
तेरी औकात दिखाऊंगा तुझे |
अंश-
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