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this poetry is inspired by a famous saying of great Charlie Chaplin
नवम्बर की एक शाम से
नवम्बर की एक रात तक
बारिश होती रही
आसमान रोता रहा |
आसमान के आंसू
मेरे गालों पर गिरते
और चल देते ज़मीन की ओर
मेरे आंसुओं के साथ |
मैं रोता जाता हूँ
चलता जाता हूँ
रोते हुए मुझको
देख नहीं सकता कोई |
नवम्बर की एक शाम से
नवम्बर की एक रात तक
यादें आती रहीं
मैं रोता रहा |
बारिश होती रही
आसमान रोता रहा |
आसमान के आंसू
मेरे गालों पर गिरते
और चल देते ज़मीन की ओर
मेरे आंसुओं के साथ |
मैं रोता जाता हूँ
चलता जाता हूँ
रोते हुए मुझको
देख नहीं सकता कोई |
नवम्बर की एक शाम से
नवम्बर की एक रात तक
यादें आती रहीं
मैं रोता रहा |
-अंश
nice...........
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