Thursday, April 15, 2010

तुम


और हम यूँ ही बैठे रहे
बहुत देर तक
तुम स्क्रिप्ट में डूबी थीं
और मैं तुम्हारे हाथ से बनी चाय और नूडल्स में

तुम कहती हो
मैंने चाय और नूडल्स की तारीफ नहीं की
मैं तो देख रहा था बस तुमको
स्क्रिप्ट में डूबे हुए
अपने किरदार के करीब
तारीफ तुम्हारी है

मैं तो देख रहा था बस तुमको
अपलक एकटक अनथक
हाँ ये बात और है के

चाय और नूडल्स का जायका
अभी भी है होठों पे....

2 comments:

  1. आपका कविता लिखना और उसका नूडल दोनों साथ साथ है

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  2. main samjhan nahin vipul.....

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